भारत में ई-कॉमर्स
परिचय-
जब व्यापार व वाणिज्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से किया जाता है, तो इसे 'इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स' कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो, जब उत्पादों या सेवाओं का क्रय विक्रय सूचना प्रौद्योगिकी या कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से होता है ,तो इसे ई कॉमर्स कहते हैं।
ई कॉमर्स से जहाँ एक और छोटे व सामान्य व्यापारी को विश्वव्यापी बाजार मिलता है, वहीं आम उपभोक्ता को भी घर बैठे ही उत्पाद चयन व प्राप्ति की सहूलियत मिलती है।
श्रेणियां-
ई कॉमर्स की मोटा मोटी 4 प्रमुख श्रेणियां(category) हैं:-
1. B2C (Business to Consumer)
जब ई कॉमर्स के माध्यम से व्यापारी द्वारा सीधे ही उपभोक्ता के घर वस्तु या सेवा पहुंचाई जाय।(जैसे- अमेज़न ,फ्लिपकार्ट)
2. B2B (Business to Business)
जब ई कॉमर्स के माध्यम से दो व्यापारियों या व्यावसायिक संघटनों के बीच वस्तुओं या सेवाओं का क्रय विक्रय किया जाय।(जैसे - इंडियामार्ट,ई स्टील)
3. C2C (Consumer to Consumer)
जब ई कॉमर्स के माध्यम से दो उपभोक्ताओं के बीच मे ही वस्तुओं या सेवाओं का क्रय विक्रय किया जाय।(जैसे- ओलक्स,क्विकर)
4. C2B (Consumer to Business)
जब उपभोक्ता द्वारा कोई सेवा व्यापारी या व्यावसायिक संस्थान को दी जाय।(जैसे उपभोक्ता द्वारा कोई सुझाव देना, नव उत्पाद सृजन के लिए आईडिया देना, उत्पाद मूल्य के बारे में सुझाव, उत्पाद की कमियों के बारे में संवाद)।
ई कॉमर्स के लाभ:-
- मध्यस्थों की समाप्ति व लागत में कमी।
- उपभोक्ताओं के समय व धन की बचत।
- उपभोक्ताओं के चयन व तुलना की सुविधा।
- घरेलू व अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि।
- नए रोजगार का सृजन।
- व्यापारियों के संग्रहण खर्च में कमी।
- छोटे व्यापारियों को भी बराबरी का मौका।
ई कॉमर्स की हानि-
- रिटेल व्यापारियों को नुकसान।
- रोजगार में कमी।
- ऑनलाइन फ्रॉड व ठगी ।
- कोई सुदृढ़ नियामक तंत्र नही।
- कर चोरी, डिस्काउंट की धोखाधड़ी, नकली माल।
भारत मे ई कॉमर्स:-
भारत में वर्तमान में ई कॉमर्स इंडस्ट्री लगभग 38 अरब डॉलर की है, जो 2024 तक बढ़कर 100 अरब डॉलर हो जाएगी।यह एक तेज गति से बढ़ती इंडस्ट्री है।भारत मे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, ओएलएक्स इसके प्रमुख स्तम्भ हैं।
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